इंटेलीजेली- शक्ति और कमजोरियाँ


 


एक बच्चे का व्यक्तित्व तब आकार लेना शुरु उसकी ताकत और कमजोरियों को पहचानकर, कोई उस पर लगातार काम करता है.


जिंदगी हमारे लिए अनंत विकल्पों को थाली में सजाकर देती है लेकिन हम उन विकल्पों को ही देखना चाहते हैं जो दूसरों की थाली में उपलब्ध होते हैं. प्रत्येक व्यक्ति अद्वितीय होता है. प्रत्येक व्यक्ति अपनी ताकत और कमजोरियों के अनुसार अलग-अलग ढंग से कार्य करता है. यह मनुष्य का प्रकृति प्रदत्त स्वभाव है. हालाँकि सावधानीपूर्वक किए गएअवलोकन मददगार साबित होते हैं. एक बच्चे का व्यक्तित्व तब आकार लेना शुरू करता है जब उसकी ताकत और कमजोरियों को पहचानकर, कोई उस पर लगातार काम करता है. इसी तरह किसी की ताकत और कमजोरियों को पहचानना भी मददगार ही साबित होता है. यह एक तरह से स्वयं की स्वयं से ही मुलाकात करवाने के समान है. एक कदम आगे बढ़ाकर दूसरों का सम्मान करना और उनके व्यक्तित्व को समझना व उसे स्वीकार करना, जीवन में सफलता पाने की कुंजी है. साथ ही दूसरों को पहचानना और बिना किसी पूर्वाग्रह के, निष्पक्ष


होकर, उनके पसंदीदा कार्यक्षेत्र को स्वीकार करना भी आवश्यक है. लगातार विकसित होना ही अंतिम लक्ष्य होना चाहिए. एक बार ताकत और कमजोरियों की पहचान हो जाये तो उसके बाद, ताकत को और बढ़ाना तथा कमजोरियों को दर करने पर काम करना आसान हो जाता है. बच्चों को जब प्रोत्साहन मिलता है तब वे आसानी से अपनी ताकत और कमजोरियों को ढूँढ़ कर, सही समय पर, सही निर्णय ले पाते हैं.


 



 


कुछ समय बाद...


निकी, तुम बहुत सुंदर चित्र बनाती हो. क्यों न तुम माइक की साइकिल का एक सुंदर-सा चित्र बना दो. शायद उससे ही कुछ मदद मिल जाए.


जरूर! मैं जल्दी से जाकर कागज, पेंसिल और रंग लेकर आती हूँ.


कुछ मिनटों बाद...


सेम, तुम्हारी चौकीदार अंकल के साथ बहुत बनती है! है ना?


हाँ, मिया.


ठीक है, मिया.


ठीक है... तो फिर काम पर लग जाओ. क्या तुम उन्हें माइक की साइकिल के बारे में सीसीटीवी पर देखने के लिए कह सकते हो? शायद कोई उस साइकिल को ले गया हो?


तभी मिया कोयाद आता है...


माइक, क्या तुम मेरी किताब लाए?


ओह मिया! मैं भूल गया.


माइक, तुम्हारा बैडमिंटन रैकेट कहाँ है?


ओह. मिया! मैं भूल गया.