इंटेलीजेली- दादाजी असली हीरो


 


खुशियाँ बाँटता अर्जुन 


अर्जुन की जन्मदिन की पार्टीखत्म होने के बाद...


वाह! इतने सारे उपहार.


हाँ दादाजी.


पर दादाजी, काश मुझे और भी बहुत सारे उपहार मिलते!


दादाजी के पास हमेशा कोई न कोई योजना रहती हैं.


अर्जुन, क्या तुम मेरे साथ टहलने चलोगे?


हाँ, दादाजी, क्यों नहीं.


अर्जुन ने अपने आस-पास कुछ गरीब लोगों को देखा.



 


वे घर वापस आते हैं.


क्या हुआ बेटा? तुम खुश नहीं दिख रहे हो.


दादाजी, क्या आपने फुटपाथ पर बैठे उन गरीब लोगों को देखा?


हाँ, बेटा.


क्या हम उनके लिए कुछ कर सकते हैं?


चलो सोचते हैं कि क्या किया जा सकता है?



 



कुछ चीजें जो हमारे लिए जरूरी नहीं हैं वह दूसरों के लिए बहुत जरूरी हो सकती हैं. हमेशा मुस्कुराहट बाँटते रहो क्योंकि वही इस धरती को रहने लायक एक अच्छी जगह बना सकती है.


अब मैं आपके कहने का मतलब समझा, दादाजी.